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… रुक्मिणी अष्टमी: 12 दिसंबर 2025, शुक्रवार

रुक्मिणी अष्टमी का दिन देवी रुक्मिणी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो माँ लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। यह दिन भक्तों के लिए विशेष पुण्य और समृद्धि का स्रोत है। रुक्मिणी देवी भगवान श्री कृष्ण की प्रथम पत्नी थीं और उनका विवाह प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।

महत्व:

रुक्मिणी अष्टमी के दिन पूजा और व्रत रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत समृद्धि, सुख-शांति और परिवार की खुशहाली लाने वाला माना जाता है। हवन और मंत्र जाप के माध्यम से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और भक्त आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करते हैं।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 माँ बगलामुखी और देवी रुक्मिणी की पूजा करें, जिससे नकारात्मक शक्तियों का नाश हो।
  • 🔸 व्रत रखकर माँ लक्ष्मी की कृपा एवं आशीर्वाद पाएं और मन को स्थिर और शांत बनाएं।
  • 🔸 हवन और मंत्र जाप से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा आए।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 पूजा और हवन की पूर्व-बुकिंग कर आयोजन कराए जा सकते हैं।
  • 🔸 माता की कृपा से भय, बाधाएं और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
  • 🔸 भक्तजन आत्मविश्वास, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।



… सफला एकादशी व्रत: 15 दिसंबर 2025, सोमवार

सफला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो सफलता और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष की एकादशी को पौष महीने में मनाया जाता है। सफला का अर्थ है 'सफलता' और इस दिन व्रत रखने से सभी कार्य सफल होते हैं।

महत्व:

सफला एकादशी के व्रत से पापों का नाश होता है, गरीबी दूर होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा और ध्यान के साथ मनाया जाता है जो मन, बुद्धि और कर्मों की शुद्धि करता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत का फल हजारों यज्ञों और दान से भी अधिक माना गया है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 माँ बगलामुखी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • 🔸 सफला एकादशी का व्रत रखें, जो जीवन में सफलता और सकारात्मक बदलाव लाता है।
  • 🔸 हवन और मंत्र जाप से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 पूजा और हवन की पूर्व-बुकिंग कर आयोजन कराए जा सकते हैं।
  • 🔸 माता की कृपा से भय, बाधाएं और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
  • 🔸 भक्तजन आत्मविश्वास, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।



… धनु संक्रांति व्रत: 16 दिसंबर 2025, मंगलवार

धनु संक्रांति सूर्य के धनु राशि में प्रवेश को दर्शाता है और इसे हिंदू पंचांग में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन आध्यात्मिक नवीनीकरण, शुद्धि और नए सौर महीने के प्रारंभ का प्रतीक है। इस दिन श्रद्धालु सुबह स्नान करते हैं और सूर्य देव तथा भगवान जगन्नाथ की पूजा कर पुण्य कमाते हैं।

महत्व:

धनु संक्रांति का व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। यह दिन खमार मास की शुरुआत भी करता है, जब अशुभ कार्यों से बचा जाता है और आत्म-चिंतन तथा दान को बढ़ावा दिया जाता है। इस दिन दान, विशेष रूप से तिल, भोजन और वस्त्र दान अत्यंत शुभ माना जाता है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 माँ बगलामुखी और सूर्य देव की पूजा करें।
  • 🔸 सुबह शीघ्र उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें और तन-मन को शुद्ध करें।
  • 🔸 जरूरतमंदों को तिल, भोजन और वस्त्र दान करें।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 पूजा और हवन की पूर्व-बुकिंग कर आयोजन कराए जा सकते हैं।
  • 🔸 माता की कृपा से भय, बाधाएं और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
  • 🔸 भक्तजन आत्मविश्वास, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।



… पौष अमावस्या: 19 दिसम्बर 2025, शुक्रवार

पौष अमावस्या हिन्दू पंचांग के पौष माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण, दान-पुण्य और आत्मशुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन सूर्यदेव और पितरों की आराधना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में इसका वर्णन आत्मिक ऊर्जा बढ़ाने और नकारात्मकता को दूर करने वाले दिन के रूप में किया गया है।

महत्व:

पौष अमावस्या को पवित्रता, संयम और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक माना गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक स्नान, दान और ध्यान करने से पापों का शमन होता है और जीवन में शांति तथा समृद्धि आती है। यह दिन पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 प्रातःकाल सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या घर में स्नान करें, पितरों को जल अर्पित करें और तर्पण करें।
  • 🔸 तिल, वस्त्र, अन्न, तेल और दीप दान करें, जिससे पितृ संतोष और पुण्य की प्राप्ति होती है।।
  • 🔸 इस दिन मौन रहकर ध्यान करना या भगवान विष्णु, शिव अथवा माँ बगलामुखी का नाम-स्मरण अत्यंत शुभ माना गया है।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 पौष अमावस्या पूजन एवं महामृत्युंजय हवन का आयोजन सीमित पूर्व-बुकिंग के माध्यम से।
  • 🔸 पितृ शांति साधना, दान अनुष्ठान और दिव्य रात्रि ध्यान-सत्र का विशेष आयोजन।
  • 🔸 माँ बगलामुखी की कृपा से साधक को नकारात्मकता से मुक्ति, आत्मिक शुद्धि और दिव्य ऊर्जा की अनुभूति प्राप्त होती है।



… तुलसी पूजा: 25 दिसंबर 2025, गुरुवार

तुलसी पूजा का पर्व भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी जी की आराधना के रूप में मनाया जाता है। यह दिन धर्म, शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है। इस दिन घर-घर में तुलसी महारानी का विशेष पूजन किया जाता है और भक्त तुलसी के पौधे के चारों ओर दीप प्रज्वलित करते हैं।

महत्व:

तुलसी पूजा का दिन भक्ति, धर्म और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है। हिंदू धर्म में तुलसी माता को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है। तुलसी पूजन से घर में धन, शांति और सौभाग्य का वास होता है तथा मन की पवित्रता बढ़ती है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 तुलसी के पौधे के चारों ओर दीपक जलाएं और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
  • 🔸 तुलसी पत्र के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है, अतः भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें।
  • 🔸 इस दिन व्रत, दान या जरूरतमंदों की सहायता करना शुभ फल देता है।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 तुलसी पूजा के अवसर पर विशेष पूजन, हवन और आरती का आयोजन।
  • 🔸 भक्तों के लिए तुलसी पूजा कीरतन, कथा-वाचन और भजन संध्या का कार्यक्रम।
  • 🔸 माता की कृपा से घर में शांति, समृद्धि और सुख का स्थायी वास होता है।



… Martand Saptami (Shri Guru Gobind Singh Jayanti): 27 दिसंबर 2025, शनिवार

मार्तण्ड सप्तमी (श्री गुरु गोबिंद सिंह जयंती) सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पड़ता है और यह साहस, विश्वास और धार्मिकता का प्रतीक है।

महत्व:

मार्तण्ड सप्तमी (गुरु गोबिंद सिंह जयंती) वीरता, समानता और भक्ति की भावना का प्रतीक है। गुरु गोबिंद सिंह जी एक आध्यात्मिक नेता, योद्धा और कवि थे जिन्होंने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी, जो न्याय और धार्मिकता के लिए समर्पित एक समुदाय था। यह त्योहार उनकी निर्भयता, आत्म-बलिदान और धार्मिक स्वतंत्रता की वकालत की शिक्षाओं का सम्मान करता है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं का स्मरण करें और उनके आदर्शों का पालन करें, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और सामूहिक भक्ति को बढ़ाते हैं।
  • 🔸 सामाजिक सेवा और साझा भोजन (लंगर) में हिस्सा लें, जिससे समानता और दया का संदेश फैले।
  • 🔸 अपने जीवन में साहस, धर्म और सद्भाव के मूल्य विकसित करें, जो गुरु जी की शिक्षाओं का मूल हैं।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 विशेष गुरु गोबिंद सिंह जयंती पूजन, हवन एवं भजन संध्या का आयोजन।
  • 🔸 भक्तों के लिए कथा वाचन, संगत और सामूहिक कीर्तन का आयोजन।
  • 🔸 माता की कृपा से भक्तों को साहस, शांति और धर्म की स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।



… पुत्रदा एकादशी (स्मार्त): 30 दिसंबर 2025, मंगलवार

पुत्रदा एकादशी पुत्र की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व रखती है। यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है और यह श्रावण या पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

महत्व:

पुत्रदा एकादशी का दिन वैवाहिक जीवन में पुत्रदा-संतान की प्राप्ति और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपासना से मन के पाप शुद्ध होते हैं तथा पारिवारिक सौहार्द, खुशहाली और धर्म की वृद्धि होती है। कथा अनुसार, यह व्रत पूर्व जन्म के पापों को दूर कर पुण्य की प्राप्ति करता है और संताने के आशीर्वाद प्रदान करता है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें, तुलसी, कमल और पीले फूलों का अर्पण करें।
  • 🔸 एकादशी के उस दिन निर्जल या फलाहार व्रत का पालन करें, जिससे आत्म-शुद्धि होती है।
  • 🔸 विष्णु सहस्रनाम और एकादशी कथा का पाठ करें, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और विश्वास को बढ़ाता है।
  • 🔸 इस दिन दान-पुण्य करें, विशेषकर गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों की सहायता करना शुभ फल देता है।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 विशेष गुरु गोबिंद सिंह जयंती पूजन, हवन एवं भजन संध्या का आयोजन।
  • 🔸 भक्तों के लिए कथा वाचन, संगत और सामूहिक कीर्तन का आयोजन।
  • 🔸 माता की कृपा से भक्तों को साहस, शांति और धर्म की स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।



… पुत्र एकादशी (वैष्णव): 31 दिसंबर 2025, बुधवार

पुत्र एकादशी वैष्णव परंपरा में भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह एकादशी पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और विशेष रूप से संतान की प्राप्ति और परिवार की समृद्धि के लिए उपवास और पूजा की जाती है।

महत्व:

पुत्र एकादशी का दिन वैष्णव श्रद्धालुओं के लिए पुत्र की प्राप्ति, पौराणिक पुण्य की वृद्धि और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस दिन जो भक्त निष्ठा और सावधानि से व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे वे पापों से मुक्ति पाते हैं और परिवार में सुख-शांति आती है। यह व्रत संतानहीन दंपतियों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।

क्या करें और क्यों:

  • 🔸 इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें, तुलसी, कमल, चन्दन और पीले फूल अर्पित करें।
  • 🔸 एकादशी व्रत का पालन करें, जिसमें निर्जल या फलाहारी उपवास करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  • 🔸 विष्णु सहस्रनाम और एकादशी कथा का पाठ करें तथा भजन-कीर्तन में भाग लें, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है।

माँ बगलामुखी बनखंडी में

  • 🔸 विशेष पुत्र एकादशी पूजन, हवन एवं भजन संध्या का आयोजन होता है।
  • 🔸 भक्तों के लिए कथा-वाचन, आध्यात्मिक संगत और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम।
  • 🔸 माता की कृपा से परिवार में संतति की प्राप्ति, सुख-शांति और स्थिरता होती है।